जब हम बचपन के समय में जीवन की राह पर, पहली बार विद्यालय में ज्ञान प्राप्त करने, कुछ सीखने के लिए जब हमारे माता-पिता पहली बार नयी उम्मीद के साथ हमारी उँगली को पकड़ कर जब विद्यालय को छोड़ जाते थे, तो ऐसा लगता था कि माता-पिता का साथ हमेशा के लिए हमसे छूट गया, पर हम ग़लत थे। हमें वहाँ सबसे पहले धैर्य और साहस का पहला पाठ स्कूल से मिलता है।फिर गुरु के द्वारा ज्ञान के दर्शन होते हैं।
बचपन का ज्ञान ही हमारे जीवन का आधार होता है। ज्ञान से हीं प्रभावित हमारा संसार होता है। दुनिया की सारी बातें छोटी सी पुस्तक में समायी होती हैं, जिसे पढ़ते ही हमारे अंदर ज्ञान की ज्योत जल जाती है। इससे बड़ा हमारे लिए कोई उपहार हमारे जीवन में नहीं हो सकता है। ज्ञान का स्थान इस संसार में सबसे बड़ा है, इसे पाना थोड़ा जटिल है पर ये हमारे जीवन को बहुत ही प्रभावित करता है।
कहा जाता है कि विद्यालय वह स्थान है, जहां शिक्षा ग्रहण की जाती है। यह ऐसा माध्यम है, जहां बच्चों को शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, नैतिक, हँसना, खेलना-कूदना जैसे कई गुणों से अवगत कराती और शिक्षित बनाती है। विद्या की एक अक्षर ही हमें साक्षर बनाती है।
शिक्षा एक सामाजिक प्रक्रिया है और एक सामाजिक संस्था भी है जिससे बालक का सामाजिक विकास होता है। विद्यालय स्वास्थ्य नागरिकों के निर्माण में सहायक होता है। विद्या के बिना किसी भी संस्था एवं समाज का निर्माण नहीं हो सकता है।
हर व्यक्ति को धनवान के साथ-साथ ज्ञानवान, बुद्धिमान, गुणवान भी होना बहुत हीं जरूरी है। वैसे भी समय बदल रहा है। अब के समय के साथ लोगों को शिक्षित होना बहुत हीं जरूरी है क्योंकि आने वाला युग बहुत हीं डिजिटल होते जा रहा है। शिक्षा के बिना तो हमारा कोई भी कम नहीं बनने वाला है। शिक्षा हमारे लिए सर्वोपरी है।

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