प्रकृति एक ईश्वरीय देन पर्यावरण है, जो हमारे आसपास है, हमारा ध्यान देती है और हर पल हमारा पालन-पोषण करती है। ये हमारे चारों तरफ से एक सुरक्षात्मक कवच प्रदान करती है जो हमें नुकसान होने से बचाती है। हवा, पानी, जमीन, आग, आकाश आदि जैसी प्रकृति के बिना हमलोग इस काबिल नहीं हैं कि धरती पर रह सके।
सच्चा स्वभाव जीवित प्राणी का सार है। इस स्थिति में, संपूर्ण अस्तित्व शुद्ध अच्छाई और संपूर्ण सौंदर्य, अनुग्रह और लालित्य है। लेकिन जीवित प्राणी अपने स्वरूप को उसकी वास्तविक स्थिति में पहचानने या न पहचानने के लिए स्वतंत्र है।
इस स्थिति में, संपूर्ण अस्तित्व शुद्ध अच्छाई और संपूर्ण सौंदर्य, अनुग्रह और लालित्य है। लेकिन जीवित प्राणी अपने स्वरूप को उसकी वास्तविक स्थिति में पहचानने या न पहचानने के लिए स्वतंत्र है।
प्रकृति सच्चा और मनुष्य बनावटी माटी का पुतला है जो हमेशा मरता और जन्म लेते रहता है पर प्रकृति नहीं...
प्रकृति ने मनुष्य को सारे गुण दिये हैं। वनस्पतियों का उपयोग कर अपने लिए साधन बनाने का …
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| Wild nature |
प्रकृति (प्रकृति) का अर्थ है वह सम्पूर्ण प्राकृतिक संसार, जो हमें चारों ओर दिखाई देता है — जैसे पेड़-पौधे, नदियाँ, पहाड़, आकाश, हवा, धरती, जानवर, पक्षी और मानव जीवन के लिए आवश्यक सारी चीजें। यह हमारे जीवन का मूल आधार है।
प्रकृति न केवल हमें जीवन देती है, बल्कि हमारे मन और आत्मा को भी शांति प्रदान करती है। सूरज की रोशनी, ताजगी भरी हवा, बारिश की बूंदें, हरियाली से ढकी वादियाँ — ये सब मिलकर हमारे जीवन को सुंदर और आनंदमय बनाती हैं।
प्रकृति का महत्व:
- जीवनदायिनी शक्ति: हमें ऑक्सीजन, भोजन, पानी, और रहने के लिए स्थान प्रदान करती है।
- पर्यावरण संतुलन: पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड को सोखते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं।
- मानसिक शांति: प्राकृतिक वातावरण में समय बिताने से तनाव कम होता है और मन प्रसन्न रहता है।
- जैव विविधता: प्रकृति में कई प्रकार के जीव-जंतु और वनस्पति मिलते हैं, जो पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बनाए रखते हैं।
लेकिन आजकल मनुष्य अपने स्वार्थ में प्रकृति का अत्यधिक दोहन कर रहा है — वनों की कटाई, जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, प्लास्टिक का बढ़ता उपयोग आदि समस्याएँ प्रकृति को नुकसान पहुँचा रही हैं। अगर हमने समय रहते ध्यान नहीं दिया, तो इसका दुष्परिणाम हमें ही भुगतना पड़ेगा।
निष्कर्ष:
प्रकृति हमारी माता के समान है, इसका संरक्षण करना हमारा कर्तव्य है। हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए, जल बचाना चाहिए, प्लास्टिक का कम उपयोग करना चाहिए और प्राकृतिक संसाधनों का समझदारी से उपयोग करना चाहिए। तभी हम आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुंदर और सुरक्षित धरती छोड़ पाएँगे।

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